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चीनी विकास निधि (एसडीएफ)

चीनी विकास निधि की स्थापना संसद के एक अधिनियम के माध्यम से वर्ष 1982 में की गई थी। वर्तमान में इसका उपयोग चीनी मिलों के पुनरूद्धार तथा आधुनिकीकरण/खोई आधारित विद्युत सह-उत्पादन परियोजना/अल्कोहल से एनहाइड्रस अल्कोहल तथा इथेनॉल का उत्पादन/मौजूदा इथेनॉल प्लांट को जीरो लिक्विड डिस्चार्ज प्लांट में बदलने तथा गन्ना विकास हेतु ऋण प्रदान करने के लिए किया जा रहा है। ये ऋण मौजूदा बैंक दर से 2% कम की रियायती दर पर उपलब्ध कराये जाते हैं।

चीनी विकास निधि का उपयोग चीनी का बफर स्टॉक तैयार करने तथा उसका रखरखाव करने, चीनी के निर्यात शिपमेंट के संबंध में चीनी मिलों को आंतरिक ढुलाई तथा मालभाड़ा प्रभारों, केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर अनुमोदित स्कीम के अंतर्गत दिये गए ऋण पर ब्याज के संबंध में चीनी कारखानों को वित्तीय सहायता, रॉ-चीनी के विपणन तथा विकास के संबंध में ब्याज छूट, गन्ने की लागत की भरपाई करने तथा किसानों के गन्ना मूल्य बकाया का समय पर भुगतान को सुविधाजनक बनाने के लिए चीनी मिलों को उत्पादन सब्सिडी प्रदान करने के प्रयोजनार्थ होने वाले व्यय का भुगतान करने के लिए भी किया जा रहा है।

चीनी विकास निधि अधिनियम, 1982 के अंतर्गत चीनी कारखानों को ऋण के रूप में वित्तीय सहायता की स्कीमों को तत्काल बंद कर दिया गया है। तथापि, एस.डी.एफ ऋण मामलों, जहां प्रशासनिक अनुमोदन जारी किया गया है, पर विभाग द्वारा विचार किया जा रहा है।