खरीद-नीति
राज्य सरकार की एजेंसियां और भारतीय खाद्य निगम केन्द्रीय पूल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम एस पी) पर निर्धारित उचित औसत गुणवत्ता (एफ ए क्यू ) विनिर्देशों के साथ अनुबद्ध अवधि के अन्दर गेहूं और धान की खरीद करती है । प्रत्येक विपणन मौसम की शुरुआत से पहले अनुमानित
उत्पादन, विपणन अधिशेष और कृषि फसल पद्धति के आधार पर राज्य सरकारों और भारतीय खाद्य निगम के परामर्श से भारत सरकार गेहूं और धान की खरीद के लिए अनुमानों को अंतिम रूप देती है ।
इसके अलावा, राज्य सरकारों द्वारा मोटे अनाज की विभिन्न जिंसों की खरीद राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम तथा अन्य कल्याणकारी स्कीमों के अंतर्गत वितरण के लिए राज्य सरकारों द्वारा अपनी आवश्यकता के अनुसार भारतीय खाद्य निगम के परामर्श से स्वयं की जाती है
।
केंद्रीकृत खरीद प्रणाली
केंद्रीकृत खरीद प्रणाली के तहत, केन्द्रीय पूल के लिए खाद्यानों की खरीद या तो सीधे भारतीय खाद्य निगम द्वारा की जाती है या राज्य एजेंसियां खाद्यानों की खरीद कर भंडारण तथा भारत सरकार द्वारा आवंटन के अनुसार उसी राज्य मे निर्गत करने हेतु या अधिशेष स्टॉक को अन्य
राज्यों मे परिचालन हेतु भारतीय खाद्य निगम को सुपुर्द कर देती हैं | भारतीय खाद्य निगम को राज्य एजेंसियों द्वारा स्टॉक सुपुर्द किए जाने के बाद उनके द्वारा खरीदे गए खाद्यानों की लागत की प्रतिपूर्ति भारत सरकार द्वारा जारी किए गए लागत पत्रक के अनुसार भारतीय खाद्य
निगम के द्वारा की जाती है |
विकेन्द्रीकृत खरीद स्कीम
खरीद और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की कार्यकुशलता में वृद्धि करने तथा स्थानीय किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ देकर अधिकतम सीमा तक स्थानीय खरीद को प्रोत्साहित करने और ढुलाई की लागत में बचत करने के उद्देश्य से सरकार ने वर्ष 1997-98 में खाद्यान्नों
की विकेन्द्रीकृत खरीद स्कीम की शुरुआत की थी। इसमें उन खाद्यान्नों की खरीद की जाती है, जो स्थानीय तौर पर अधिक पसंद किए जाते हैं।
इस स्कीम के अंतर्गत राज्य सरकार स्वयं, भारत सरकार की ओर से धान और गेहूं की सीधे खरीद और लेवी चावल की खरीद करती है तथा लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली और कल्याणकारी योजनाओं के तहत इन खाद्यान्नों के भंडारण और वितरण का कार्य भी करती है। केन्द्र सरकार, अनुमोदित
लागत के अनुसार, राज्य सरकारों द्वारा खरीद कार्यों पर वहन किए गए सभी व्यय को पूरा करती है। केन्द्र सरकार इस स्कीम के अधीन खरीदे गए खाद्यान्नों की गुणवत्ता की भी मॉनीटरिंग भी करती है और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रबंधों की समीक्षा करती है कि खरीद कार्य सुचारु
रूप से संचालित हो।
गेहूं और चावल की खरीद हेतु भारत सरकार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले डीसीपी राज्यों की सूची
क्र. सं.
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चावल के लिए डीसीपी राज्य
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क्र. सं.
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गेहूं के लिए डीसीपी राज्य
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1.
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उत्तराखंड
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1.
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मध्य प्रदेश
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2.
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छत्तीसगढ़
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2.
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उत्तराखंड
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3.
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ओडिशा
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3.
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छत्तीसगढ
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4.
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तमिलनाडु
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4.
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गुजरात
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5.
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पश्चिम बंगाल
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5.
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पश्चिम बंगाल
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6.
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केरल
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6.
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बिहार
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7.
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कर्नाटक
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7.
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पंजाब
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8.
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मध्य प्रदेश
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8.
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महाराष्ट्र
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9.
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आंध्र प्रदेश
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9.**
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राजस्थान (9
जिलों के लिए)
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10.
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बिहार
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11.
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तेलंगाना
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12.
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महाराष्ट्र
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13.
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गुजरात
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14.
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अंडमान निकोबार
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15.
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त्रिपुरा
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16.*
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झारखंड (सिर्फ 6
जिलों के लिए)*
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*खरीफ विपणन मौसम 2016-17 (केवल 1 जिले के लिए), 2017-18 (केवल 5 जिलों के लिए),
2018-19 (केवल 6 जिलों के लिए) झारखंड डीसीपी राज्य था। राज्य ने खरीफ विपणन मौसम 2019-20 में गैर-डीसीपी पद्धति को अपना लिया है।
**गेहूं के लिए रबी विपणन मौसम 2013-14 से 2015-16 (1 जिले के लिए) और 2016-17 (9 जिलों के लिए) राजस्थान डीसीपी राज्य था। तथापि,
गैर-डीसीपी पद्धति के तहत रबी विपणन मौसम 2017-18 से किसानों के हित में एफसीआई गेहूं की खरीद करता है।