• पिछला अद्यतनीकृतः: 07 दिसम्बर 2023
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पूछे जाने वाले प्रश्न

भंडारण और अनुसंधान प्रभाग

मंत्रालय के अधीन कितने गुण-नियंत्रण सैल कार्य कर रहे हैं और उनके मुख्य कार्य क्या -क्या हैं?

खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सीधे नियंत्रण के अधीन 8 गुण-नियंत्रण सैल कार्य कर रहे हैं जो नई दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद, बंगलौर, भोपाल, भुवनेश्वर, लखनऊ और पुणे में स्थि त है।

इन सैलों का मुख्या उद्देश्य राज्यक सरकारों और भारतीय खाद्य निगम की सहायता करना है ताकि खरीदारी, भंडारण और वितरण के समय खाद्यान्नों की गुणवत्ता सुनिश्चिहत की जा सके। खाद्य भंडारण डिपुओं पर इन सैलों के अधिकारियों द्वारा औचक जांच की जाती है ताकि खाद्यान्नों की गुणवत्ता सुनिश्चिरत की जा सके। यह भी सुनिश्चिात किया जाता है कि खाद्यान्नोंण का उचित भंडारण और रखरखाव करने के बारे में सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों/अनुदेशों का भारतीय खाद्य निगम, केंद्रीय भंडारण निगम, राज्यक भंडारण निगमों और राज्यि एजेंसियों द्वारा पालन किया जाता है। ये सैल खरीदारी, भंडारण और वितरण के दौरान खाद्यान्नोंं की गुणवत्ताज के बारे में संसद सदस्य , अति विशिष्टद व्यरक्तिंयों, राज्यद सरकारों, मीडिया और उपभोक्ता ओं से प्राप्ता विभिन्न शिकायतों का कार्य भी देखते हैं। निरीक्षण/जांच के दौरान पाई गई त्रुटियों/कमियों का समाधान करने के लिए तथा चूककर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए संबंधित प्राधिकारियों को भेजा जाता है।

कैप भंडारण के लिए राज्यक सरकारों को क्याी अनुदेश दिये जाते हैं?

सभी राज्य सरकारों/केन्द्री शासित क्षेत्र प्रशासनों और भारतीय खाद्य निगम को 09 अक्तूबर, 2002 से समय-समय पर खाद्यान्नोंक के सुरक्षित भंडारण और खाद्यान्नोंम के वितरण के बारे में अनुदेश जारी किये गये हैं। मंत्रालय के दिनांक 08 जून, 2012 के पत्र संख्यां 40-1/2012-क्यूौ सी सी द्वारा अनुदेश दोहराये गये हैं। इन उपायों में खरीदारी, भंडारण और वितरण के दौरान खाद्यान्नों की गुणवत्ता की लगातार मानिटरिंग करना, कवर्ड और कैप भंडारण में सुरक्षित भंडारण के लिए पद्धति संहिता अपनाना, कृमियों और कीटों के नियंत्रण के लिए रोग निरोधी और रोगहर उपचार जैसे सभी सावधानी के उपाय करना, गुणवत्ताऔ का आकलन करने के लिए स्टापक का नियमित आवधिक निरीक्षण करना आदि शामिल है।

इसके अलावा खरीदारी, भंडारण और वितरण के समय खाद्यान्नों के गुण नियंत्रण संबंधी मुद्दे पर संबंधित राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों और भारतीय खाद्य निगम के साथ मंत्रालय में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्यष मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), सचिव (खाद्य और सार्वजनिक वितरण) और संयुक्त सचिव द्वारा ली जाने वाली प्रत्येक बैठक/सम्मेलन में भी चर्चा की जाती है।

यह अवधारणा क्यों हैं कि सम्पूर्ण देश में खाद्यान्नों की बहुत बड़े पैमाने पर क्षति होती है अथवा वे सड़ते हैं? क्या यह सच है?

यह सच नहीं है कि खाद्यान्नों की बहुत बड़े पैमाने पर क्षति होती है। मीडिया द्वारा ऐसा प्रभाव पैदा किया गया है कि खाद्यान्नोंय की काफी मात्रा क्षतिग्रस्त होती है। भंडारण के दौरान कीटों के हमले, गोदामों में लीकेज, खाद्यान्नोंक की गुणवत्ताक के स्टाकक की खरीदारी, स्टाहक के संचलन के दौरान वर्षा में भीगने, बाढ़ आने, संबंधित अधिकारियों की ओर से लापरवाही होने आदि जैसे विभिन्न कारणों से गोदामों में भंडारित खाद्यान्नों की कुछ मात्रा क्षतिग्रस्ता हो जाती है।

पिछले 5 वर्षों के लिए भारतीय खाद्य निगम के स्टातक से हुए उठान की तुलना में क्षतिग्रस्तभ खाद्यान्नो का प्रतिशत निम्नयलिखित सारणी में दिया गया है:

मद 2009-10 2010-11 2011-12 2012-13 2013-14 2014-15 31.10.2014 तक
विकेन्द्रीकृत खरीद योजना वाले राज्‍यों को छोड़कर भारतीय खाद्य निगम के गोदामों से स्‍टाक (गेहूँ और चावल) का कुल उठान (लाख टन में) 371.06 432.10 473.59 281.61 523.16 275.04
क्षतिग्रस्‍त/जारी न करने योग्‍य हुई मात्रा(लाख टन में) 0.070 0.060 0.033 0.031 0.247 0.115
उठान की तुलना में जारी न करने योग्‍य स्‍टाक का प्रतिशत 0.019 0.014 0.007 0.006 0.047 0.042

कैप भण्डारण क्याा है? क्याय कैप में खाद्यान्नोंत का भंडारण जोखिमपूर्ण हैं? कैप में कितने समय तक भण्डारण किया जा सकता है?

कैप का अर्थ कवर और प्लिंथ होता है जिसमें खाद्यान्नों (गेहूँ और धान) की बोरियों का भंडारण पक्केप सीमेंट से निर्मित ऊंचे प्लिंथों पर मानक आकार और ऊंचाई के शंकुकार चट्टों में किया जाता है और इन्हें कम घनत्वे के पालीथीन कवरों से उचित रूप से ढका जाता है। ढके हुए गोदामों की कमी होने के कारण पंजाब और हरियाणा जैसे अधिशेष वाले राज्योंत और उत्तहर प्रदेश, महाराष्ट्र , मध्यक प्रदेश और उत्ततराखंड आदि जैसे अन्ये राज्यों में गेहूं का भंडारण कैप में किया जाता है।

यदि खाद्यान्नों का सुरक्षित भंडारण सुनिश्चित करने के लिए अपेक्षित उपाय किये जाते हैं तो वैज्ञानिक कैप में रखे गेहूं के स्टाक को काई जोखिम नहीं है। आमतौर पर खाद्यान्नों का भंडारण केवल वैज्ञानिक रूप से बने कैप में किया जाता है और विभिन्न स्तौरों पर जांच और सुपर जांच की प्रणाली द्वारा नियमित अंतराल पर खाद्यान्नों की मानिटरिंग की जाती है। यदि वैज्ञानिक पद्धति संहिता उचित रूप से अपनाई जाती है तो कैप में गेहूं का भंडारण लम्बीं अवधि तक किया जा सकता है।

भंडारण के दौरान होने वाले नुकसान के क्या कारण हैं?

भारतीय खाद्य निगम द्वारा दी गई सूचना के अनुसार भंडारण के दौरान होने वाले नुकसान के मुख्यत रूप से निम्नालिखित कारण हैं:

  • नमी से हानि।
  • लम्बे समय तक भण्डारण।
  • दीर्घावधिक भंडारण।
  • विभिन्नध जलवायु परिस्थितियॉं।
  • अनाज की बोरियों से दानें गिरना/बिखरना।
  • भंडारण परिसरों में पक्षियों/चूहों की समस्या।
  • स्टारक की गुणवत्तार में गिरावट आना/ सड़ना।
  • स्टा‍क में फफूंद/कीटों का प्रकोप।

ढुलाई/हैंडलिंग के दौरान होने वाले नुकसान के क्या कारण हैं?

भारतीय खाद्य निगम द्वारा दी गई सूचना के अनुसार ढुलाई के दौरान होने वाले नुकसान के मुख्यय रूप से निम्नीलिखित कारण हैं:

  • रास्तेर में पिजफिरेज और चोरी।
  • लम्बी ढुलाई के दौरान नमी सूखना।
  • अनेक बार हैंडलिंग।
  • श्रमिकों द्वारा हुकों का उपयोग करना।
  • बोरियों की कमजोर बनावट और बोरियों का फटना।
  • रेलडिब्बों के छिद्रों/जोड़ों और दरवाजे के पल्लोंक के रास्ते बिखराव।
  • ट्रांसशिपमैंट केन्द्रों पर बिखराव और चोरी ।
  • तुलाई की विभिन्नर विधियां।

क्षति से बचने के लिए भारतीय खाद्य निगम द्वारा क्या् कदम उठाये गये हैं?

भारतीय खाद्य निगम विनिर्दिष्टियों के अनुसार खाद्यान्नों की खरीदारी से लेकर भंडारण तक निम्नानुसार भंडारण पद्धति संहिता अपनाकर विभिन्ने उपाय कर रहा है:-

खाद्यान्नों का भंडारण वैज्ञानिक रूप से बने गोदामों में किया जाता है। जब गोदामों में स्थानन की कमी होती है तो कैप (कवर और प्लिंथ) में भंडारण किया जाता है जो वैज्ञानिक विधि ही है और इसके लिए खाद्यान्नों के भंडारण के समय सभी सावधानी के उपाय किये जाते हैं। विभिन्न स्तरों पर जांच और सुपर जांच की प्रणाली द्वारा नियमित अंतराल पर खाद्यान्नों की मानिटरिंग की जाती है। भंडारण में खाद्यान्नों का उचित परिरक्षण सुनिश्चियत करने के लिए भारतीय खाद्य निगम द्वारा गोदामों में निम्नखलिखित जांच/सुपर जांच की जाती है:-

  • तकनीकी सहायकों द्वारा 100% आधार पर स्टाक का पखवाड़ावार निरीक्षण।
  • प्रबंधक(गु.नि.) द्वारा मासिक निरीक्षण।
  • सहायक महाप्रबंधक (गु.नि.) द्वारा तिमाही निरीक्षण।
  • क्षेत्रीय, आंचलिक और भारतीय मुख्यारलय के दस्तों द्वारा सुपर जांच।
  • आवधिक रोग निरोधी उपचार करके कीट जन्तु बाधा को रोका जाता है। जब कभी आवधिक निरीक्षणों के दौरान कीट जन्तुर बाधा पायी जाती है तो जन्तुक बाधा ग्रस्तध स्टोक को तत्काल रोग निवारण उपचार दिया जाता है।
  • दरवाजे पर जाल का उपयोग करके पक्षियों को नियंत्रित किया जाता है।
  • चूंकि गोदाम वैज्ञानिक आधार पर बने होते हैं इसलिए खाद्यान्ना चूहों से प्रभावित नहीं होते हैं। जब कभी गोदामों/कैप भंडारण के परिसर में चूहे पाये जाते हैं तो उन्हें हटाने के लिए मूषकनाशी का उपयोग किया जाता है।
  • लम्बेा भंडारण के कारण किसी प्रकार की सड़न को नियंत्रित करने के लिए स्टाेक के निपटान में प्रथम आमद प्रथम निर्गम की प्रणाली अपनाई जाती है।

खाद्यान्नो के लिए खाद्य सुरक्षा मानक क्या हैं?

समय-समय पर संशोधित नियमों और विनियमों के साथ खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 का निरसन कर दिया गया है और दिनांक 05 अगस्त, 2011 से नियमों तथा विनियमों के साथ खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 प्रवृत्त‍ हो गया है।

गेहूं और चावल के तहत खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम/विनियमों के लिए मानक:
(पूर्व में खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम)

मानवीय उपभोग के लिए खाद्यान्नि साबुत एवं अनाज के टूटे हुए करनल, मिलेट और दालें होंगी। निम्नयलिखित मानकों के अनुरूप होने के अलावा खाद्यान्नल किसी भी रूप में आर्जीमोना मैक्सिनकाना तथा केसरी से मुक्त होंगे। उनमें कोई रंजक पदार्थ नहीं होगा। खाद्यान्नोंी में खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के नियमों और विनियमों के अधीन निर्धारित सीमा से अधिक कोई कृमिनाशी (पेस्टी साइड) अवशिष्टन नहीं होगा।

गेहूं

गेहूं ट्रीटीकम एएटीवम (लिन्नव) अथवा ट्रीटीकम वलगेर (विल.) ट्रीटीकम डूरम (डेस्फ .) ट्रीटीकम स्फेंरोकोकम (पर्क.) ट्रीटीकम डिकोकम (सुबुल), ट्रीटीकम कम्पैरक्ट म (हर्स्टो) के सूखे परिपक्वं दाने होंगे। यह मीठा, साफ और ठोस होगा। यह निम्न्लिखित मानकों के अनुरूप भी होगा अर्थात :-

- विवरण
नमी भार द्वारा 14% से अधिक नहीं (पलवरसाइज्‍ड दानों को 2 घंटे तक 130 डिग्री सेल्‍सियस से 133 डिग्री सेल्‍सियस तक गर्म करके प्राप्‍त)
विजातीय तत्‍व(बाह्य तत्‍व) भार द्वारा 1% से अधिक नहीं, जिसका भार द्वारा 0.25% से कम खनिज तत्‍व होगा और भार द्वारा 0.10% से अधिक जन्‍तु मूल की अशुद्धियां नहीं होंगी।
अन्‍य खाद्य दानें भार द्वारा 6% से अधिक नहीं
क्षतिग्रस्‍त दानें कर्नाल बन्‍ट प्रभावित दानों और अरगट प्रभावित दानें क्रमश: भार द्वारा 3.0% तथा भार द्वारा 0.05% सहित भार द्वारा 6.0% से अधिक नहीं होंगे।
घुने हुए दानें गणना के आधार पर 10% से अधिक नहीं होंगे।
यूरिक अम्‍ल 100 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए।
एफ्लाटाक्‍सिन 30 माइक्रोग्राम प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए।
डी आक्‍सी निवेलीनोल(डी.ओ.एन.) 1000 माइक्रोग्राम प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं हो।

बशर्ते कि कुल विजातीय तत्वन, अन्य् खाद्य अनाज और क्षतिग्रस्ती दानें भार के आधार पर 12% से अधिक नहीं होंगे।

चावल

अरवा अथवा सेला के रूप में धान से प्राप्तअ ओरिजा सटिवा (लिन्न्) के परिपक्वर दाने (कर्नल) अथवा कर्नल के टुकड़े चावल होगा। यह शुष्का, मीठा, साफ, ठोस और विषाक्तप पदार्थों से मुक्तअ होगा। यह निम्नकलिखित मानकों के अनुरूप भी होगा अर्थात:

  • नमी - भार द्वारा 16.0% से अधिक नहीं (पलवरसाइज्डस दानों को 2 घंटे तक 130 डिग्री सेल्सिरयस से 133 डिग्री सेल्सितयस तक गर्म करके प्राप्त्)
  • विजातीय तत्व (बाह्य तत्व्) - भार द्वारा 1% से अधिक नहीं, जिसका भार द्वारा 0.25% से कम खनिज तत्वि होगा और भार द्वारा 0.10% से अधिक जन्तुर मूल की अशुद्धियां नहीं होंगी।
  • क्षतिग्रस्तो दानें - भार के आधार पर 5% से अधिक नहीं।
  • घुने हुए दानें - गणना के आधार पर 10% से अधिक नहीं।
  • यूरिक अम्ला - 100 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं हो।
  • एफ्लाटाक्सिनन - 30 माइक्रोग्राम प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं हो।

बशर्ते कि कुल विजातीय तत्वन, अन्य् खाद्य अनाज और क्षतिग्रस्ती दानें भार द्वारा 6% से अधिक नहीं होंगे।

खाद्यान्नोंन को क्षति से बचाने के लिए उन्हेंन क्याव उपचार दिया जाता है?

आवधिक रोग निरोधी उपचार देकर कीटों का प्रकोप रोका जाता है। जब कभी आवधिक निरीक्षण के दौरान किसी समय कीटों का प्रकोप देखा जाता है तो स्टाोक को रोग हरण उपचार (प्रधुमन) तत्काखल दिया जाता है।

रोग निरोधी उपचार

कीटनाशी तनुकरण खुराक आवृत्‍ति
मैलाथियन 50% ई सी 1:100 3 ली. विलयन प्रति 100 वर्ग मीटर 15 दिन में एक बार
डेल्‍टामैथ्रिन 2.5% डब्‍ल्‍यू पी 40 ग्राम/ लीटर 3 ली. विलयन प्रति 100 वर्ग मीटर 90 दिन में एक बार
डी डी वी पी 76% ई सी 1:150 रिक्‍त स्‍थान का उपचार 1 ली. विलयन प्रति 300 घन मीटर जब कभी अपेक्षित हो

रोगहर उपचार

कीटनाशी भंडारण प्रकार खुराक दवाई की अवधि
एल्‍युमीनियम फास्‍फाइड ढके हुए में प्रधुमन 9 ग्राम/टन दवाई की अवधि न्‍यूनतम 7 दिन
- शेड में प्रधुमन 63 ग्राम/28 घन मीटर -
- कैप भंडारण में 9 ग्राम/टन + 20% अतिरिक्‍त -

कैप भंडारण के परिसर में जब कभी चूहे देखे जाए तो उन्हेंि हटाने के लिए मूषकनाशी का उपयोग किया जाए।

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस)

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है? इस योजना के तहत दी जा रही विभिन्न पात्रता क्या हैं?

भारत सरकार ने जून, 1997 में गरीबों पर ध्यान केंद्रित कर लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) का शुभारंभ किया था।

  • लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली केन्द्रा और राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों की संयुक्त जिम्मेरदारी में चलाई जाती है। केन्द्रर सरकार खाद्यान्नोंे की खरीददारी, आबंटन और भारतीय खाद्य निगम के नामित डिपुओं तक इनकी ढुलाई के लिए जिम्मेऔदार है। राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के अंदर आबंटित खाद्यान्‍नों का उठान और वितरण करने, गरीबी रेखा से नीचे के पात्र परिवारों की पहचान करने, उन्हें राशन कार्ड जारी करने और उचित दर दुकानों के जरिए पात्र राशन कार्ड धारकों को आबंटित खाद्यान्नोंर के वितरण का पर्यवेक्षण करने की प्रचालनात्मोक जिम्मे,दारी राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों की होती है।
  • भारत सरकार लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राज्यों और संघ राज्य, क्षेत्रों को खाद्यान्नों के आबंटन के लिए योजना आयोग के 1993-94 गरीबी अनुमानों और 1 मार्च 2000 की स्थिनति के अनुसार भारत के महापंजीयक के जनसंख्या अनुमानों के आधार पर या राज्य‍/संघ राज्यक सरकारों द्वारा पहचाने गए ऐसे परिवारों की वास्त विक संख्यार और उन्हें जारी किए गए राशन कार्डों की संख्याह, जो भी कम हो, का उपयोग करता है। भारत सरकार 35 किलोग्राम प्रति परिवार प्रति माह की दर से लगभग 2.42 करोड़ अन्‍त्यो्दय अन्न् योजना परिवारों सहित गरीबी रेखा से नीचे के 6.52 करोड़ परिवारों की सभी स्वी्कृत संख्या‍ के लिए राजसहायता प्राप्ता खाद्यान्न2 आबंटित करता है। गरीबी रेखा से ऊपर की श्रेणी के परिवारों के लिए राजसहायता प्राप्तप खाद्यान्नों् का आबंटन केन्द्री य पूल में खाद्यान्नोंर की उपलब्ध्ता और विगत उठान के आधार पर किया जाता है। वर्तमान में खाद्यान्नों का यह आबंटन विभिन्न राज्योंत/संघ राज्यि क्षेत्रों में 15 किलोग्राम से 35 किलोग्राम प्रति परिवार प्रतिमाह के बीच है। तथापि, यह आवंटन राष्ट्री य खा़द्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत बदल जाएगा, जिसका विवरण राष्ट्री य खा़द्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के संबंध में पूछे गए प्रश्नोंत में देखा जा सकता है।
  • इसके अलावा सरकार मध्याह्न भोजन योजना और आईसीडीएस के तहत गेहूं आधारित पोषाहार कार्यक्रम, किशोरियों के लिए पोषण कार्यक्रम, अन्नपूर्णा योजना और इमरजेन्सीर फीडिंग प्रोग्राम जैसी अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए खाद्यान्नों का आबंटन करती है। सरकार स्टॉक में खाद्यान्नों की उपलब्धता और राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों से प्राप्त आवश्यकताओं/अनुरोधों के आधार पर समय-समय पर खाद्यान्न का अतिरिक्त आवंटन भी करती है।

अंत्योदय अन्न योजना स्की/म क्या है? अंत्योदय अन्न योजना परिवारों की अनुमानित संख्या और पहचान किए गए अंत्योदय अन्न योजना परिवारों की संख्या एवं राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जारी किए गए राशन कार्ड की संख्या क्या हैं?

  • लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) की ओर अधिक ध्यान केंद्रित करने और लक्षित करने के क्रम में दिसंबर, 2000 में "अंत्योदय अन्न योजना" (एएवाई) का शुभारंभ एक करोड़ सर्वाधिक गरीब परिवारों के लिए शुरू किया गया था। तब से अब तक इस योजना का तीन बार विस्तार किया गया है। इसका पहला विस्तार 5 जून, 2003 को, दूसरा विस्ता र 3 अगस्त, 2004 और तीसरा विस्ता3र 12 मई, 2005 को किया गया था जिनमें प्रत्येक विस्तार पर 50 लाख परिवारों की संख्या बढ़ाई गई है, जिसके परिणामस्वमरूप अंत्योदय अन्न योजना परिवारों की कुल कवरेज बढ़कर 2.50 करोड़ परिवार हो गई है।
  • अंत्योदय अन्न योजना स्की म में राज्य के भीतर लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत कवर किए गए बीपीएल परिवारों से सर्वाधिक गरीब एक करोड़ परिवारों की पहचान की गई और उन्हें अत्यधिक रियायती दरों पर अर्थात् 2 रुपए प्रति किलोग्राम गेहूं और 3 रुपये प्रति किलोग्राम चावल उपलब्ध् कराया जा रहा है। राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा वितरण लागत, जिसमें डीलरों और खुदरा विक्रेताओं के लिए निर्धारित मार्जिन राशि भी शामिल है, के साथ परिवहन लागत वहन करना अपेक्षित है। इस प्रकार, इस स्की्म के तहत पूर्ण खाद्य सब्सिडी उपभोक्ताओं को प्रदान की जा रही है। प्रारंभ में 25 किलो प्रति माह प्रति परिवार को दिया जाता था परंतु 1 अप्रैल, 2002 से इसे बढ़ाकर 35 किलो प्रति माह प्रति परिवार कर दिया गया है।
  • अंत्योदय परिवारों की पहचान और इन परिवारों के लिए विशिष्ट राशन कार्ड जारी करना संबंधित राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। विस्तारित अंत्योदय अन्न योजना के तहत अंत्योदय परिवारों और अतिरिक्त अंत्योदय परिवारों के रूप में सर्वाधिक गरीब परिवारों की पहचान करने के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए थे।
  • इस स्कीम से संबंधित दिशा निर्देशों में निम्नलिखित समूहों पर विशेष ध्यान दिया गया है:
    • o भूमिहीन कृषि मजदूरों, सीमांत किसानों, कुम्हार, चर्मकार, बुनकर, लोहार, बढ़ई जैसे ग्रामीण दस्तकारों/कारीगरों, स्लम निवासियों और ग्रामीण तथा शहरी दोनों क्षेत्रों में पोर्टरों, कुलियों, रिक्शा चालकों, हाथ गाड़ी खींचने वालों, फल और फूल विक्रेताओं, सपेरों, चीर बीनने वाले, मोची, बेसहारा और इसी तरह की अन्य श्रेणियों जैसे अनौपचारिक क्षेत्र में दैनिक आधार पर अपनी आजीविका कमाने वाले व्यक्तियों पर विशेष ध्याअन दिया गया है। परिवार जिनके मुखिया हैं विधवाएं अथवा मरणासन्नद बीमार व्यक्ति/विकलांग व्यक्ति/ 60 वर्ष अथवा उससे अधिक उम्र के व्यक्ति, जिनके पास गुजारे के लिए कोई निश्चिकत साधन या सामाजिक समर्थन नहीं है।
    • परिवार जिनके मुखिया हैं विधवाएं अथवा मरणासन्नन बीमार व्यक्ति/विकलांग व्यक्ति/ 60 वर्ष अथवा उससे अधिक उम्र के व्यक्ति, जिनके पास गुजारे के लिए कोई निश्चिकत साधन या सामाजिक समर्थन नहीं है।
    • विधवा अथवा मरणासन्नम बीमार व्यक्ति अथवा विकलांग व्यक्ति अथवा 60 वर्ष अथवा उससे अधिक उम्र के व्यक्ति या एकल महिला अथवा एकल पुरूष जिनके पास कोई परिवार या गुजारे का कोई निश्चि त साधन या सामाजिक समर्थन नहीं है।
    • सभी आदिम जनजातीय परिवार।
  • इस विभाग द्वारा अंत्योरदय अन्नि योजना स्कीयम के तहत शामिल करने के लिए अंत्यो दय अन्न योजना परिवारों के लिए जारी की गई निर्धारित संख्याात्मलक सीमा संबंधी दिशा-निर्देशों में निर्धारित मानदंडों की तुलना में अंत्योतदय अन्ना योजना स्कीधम की सूची में एचआईवी पॉजिटिव लोगों के सभी पात्र बीपीएल परिवारों को शामिल करने के लिए उपरोक्तआ दिशा-निर्देशों में पुन: संशोधन किया गया है
  • वर्तमान में, इस योजना के तहत 2.50 करोड़ परिवारों को कवर किया जाएगा। तथापि, दिनांक 30.09.2014 की स्थिति के अनुसार अब तक राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा 2.42 करोड़ परिवारों को अंत्योदय अन्न योजना के कार्ड जारी किए गए हैं।

बीपीएल/एएवाई/एपीएल राशन कार्ड प्राप्त करने की क्या प्रक्रिया है?

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) का प्रचालन केंद्रीय तथा राज्यह/संघ राज्यत क्षेत्र सरकारों की संयुक्तप जिम्मे्दारी के अधीन किया जाता है। केंद्रीय सरकार खाद्यान्नोंव की खरीद, आवंटन और भारतीय खाद्य निगम के विनिर्दष्ट डिपुओं तक इनकी ढुलाई के लिए जिम्मे दार है। राज्योंव/संघ राज्यन क्षेत्रों के भीतर खाद्यान्नोंी के आवंटन और वितरण के लिए प्रचालनात्ममक जिम्मेवदारी, गरीबी रेखा से नीचे के पात्र परिवारों की पहचान, उन्हें् राशन कार्ड जारी करने और उचित दर दुकानों के पर्यवेक्षण तथा कार्यकरण की जिम्मेंदारी संबंधित राज्य /संघ राज्यद क्षेत्र सरकार की होती है। उपर्युक्ता को ध्याणन में रखते हुए, चूंकि यह विभाग बीपीएल/एएवाई/एपीएल राशन कार्ड जारी नहीं करता है, अत: इसके लिए कोई भी व्यएक्तिद संबंधित राज्यं/संघ राज्यो क्षेत्र के खाद्य और नागरिक आपूर्ति कार्यालय से सम्प र्क कर सकता है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए), 2013 के अंतर्गत, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के अधीन कवरेज को गरीबी अनुमानों से डि-लिंक कर दिया गया है। अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित ग्रामीण और शहरी आबादी का क्रमश: 75% एवं 50% कवरेज गरीबी अनुमानों से काफी ऊपर है। प्रत्ये7क राज्यक/संघ राज्यण क्षेत्र के लिए निधारित कवरेज के अधीन राज्यर अथवा संघ राज्यक क्षेत्र प्रशासनों द्वारा पात्र परिवारों की पहचान करना और उन्हें राशन कार्ड जारी करना अपेक्षित है। अत: राज्यर/संघ राज्यक क्षेत्र प्राथमिकता वाले परिवारों और अंत्यो:दय अन्नद योजना के अंतर्गत कवर किए जाने वाले पात्र परिवारों को राशन कार्ड जारी करेंगे।

बीपीएल/अंत्योरदय अन्न योजना कार्डधारकों के लिए गेहूं और चावल की कितनी मात्रा और किस कीमत पर स्वी कार्य हैं?

देश में केंद्रीय सरकार द्वारा लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के अंतर्गत अंत्योंदय अन्नर योजना परिवारों सहित गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) की श्रेणी के परिवारों को खाद्यान्नों (गेहूं और चावल) का आवंटन 35 किलोग्राम प्रति परिवार प्रति माह की दर से किया जाता है। केंद्रीय पूल में खाद्यान्नोंव की उपलब्धंता और विगत उठान के आधार पर गरीबी रेखा से ऊपर (एपीएल) श्रेणी के परिवारों को खाद्यान्नों का आवंटन किया जाता है। वर्तमान में, गरीबी रेखा से ऊपर के परिवारों को भी खाद्यान्नग का आवंटन 15 किलोग्राम से 35 किलोग्राम के बीच प्रति परिवार प्रति माह किया जाता है।

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत आपूर्ति किए जा रहे खाद्यान्नों का केंद्रीय निर्गम मूल्यज (सीआईपी) निम्नानुसार है:-

(आंकड़ा रुपये प्रति किलो में)

खाद्यान्नल एपीएल बीपीएल एएवाई
चावल 8.30
(ग्रेड ‘ए’)
- -
- 7.95
(सामान्य्)
5.65 3.00
गेहूं 6.10 4.15 2.00
मोंटे अनाज 4.50 3.00 1.50

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के लाभार्थियों के लिए उपलब्धं शिकायत निपटान तंत्र क्या् है ?

राज्योंन/संघ राज्या क्षेत्रों के भीतर खाद्यान्नों के आवंटन और वितरण संबंधी प्रचालनात्म क जिम्मेंदारी, गरीबी रेखा से नीचे के पात्र परिवारों की पहचान करना, उन्हेंध राशन कार्ड जारी करना और उचित दर दुकानों का पर्यवेक्षण तथा निगरानी करना राज्यी/संघ राज्यि क्षेत्र सरकार की जिम्मेादारी है। अत: विभाग में व्यरक्ति यों और संगठनों तथा प्रैस रिपोर्टों के माध्यसम से जब भी शिकायतें प्राप्त: होती है, उन्हेंक जांच एवं उचित कार्रवाई के लिए संबंधित राज्य /संघ राज्य क्षेत्र सरकारों को भिजवा दिया जाता है। उपर्युक्तं पहलुओं से संबंधित किसी भी प्रकार की शिकायत के संबंध में संबंधित राज्यो/संघ राज्यय क्षेत्र के खाद्य और नागरिक आपूर्ति प्राधिकरणों से सम्पेर्क किया जा सकता है।

इसके अतिरिक्ति, कुछ राज्योंे/संघ राज्य क्षेत्रों ने टीपीडीएस के अंतर्गत शिकायतों के निपटान एवं पंजीकरण के लिए टोल फ्री हेल्पयलाइन नंबर शुरू किए हैं। राज्यों /संघ राज्यन क्षेत्रों में शुरू किए जाने वाले टोल फ्री तथा अन्यक हेल्प्लाइन नंबरों की सूची अनुबंध में संलग्ने है।

राष्ट्री य खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 में दो स्तपरीय शिकायत निपटान तंत्र का भी प्रावधान है जिसमें जिला स्तकर पर जिला शिकायत निपटान अधिकारी (डीजीआरओ) और राज्य स्तलर पर राज्यप खाद्य आयोग (एसएफसी) का भी प्रावधान है।

अनुबंध

राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में टीपीडीएस के लिए टोल फ्री हेल्पलाइन की सूची (28.10.2014 की स्थिति के अनुसार)

क्र. सं. राज्य/संघ राज्य क्षेत्र 4-अंकीय 1800 सिरीज़ अन्य- नंबर
1 अंडमान और निकोबार द्वीप समूह 1967 - -
2 आंध्र प्रदेश 1967 1800-425-2977
1800-425-0082
-
3 अरुणाचल प्रदेश 1967 - -
4 असम 1800-345-3611 -
5 बिहार 1800-3456-194 -
6 चंडीगढ़ 1967 1800-180-2068 -
7 छत्तीढसगढ़ 1967 1800-233-3663 -
8 दादरा व नगर हवेली - 1800-233-4004 -
9 दमन व दीव - - -
10 दिल्लीद 1967 1800-11-0841 -
11 गोवा - 1800-233-0022 -
12 गुजरात 1967 1800-233-5500 -
13 हरियाणा 1967 1800-180-2090
1800-180-2087
-
14 हिमाचल प्रदेश - 1800-180-8026 -
15 जम्मू-कश्मीर 1967 1800-180-7011 -
16 झारखंड - - -
17 कर्नाटक 1967 1800-425-9339 -
18 केरल 1967 1800-425-1550 -
19 लक्षद्वीप - - -
20 मध्य प्रदेश 1967 - 155343
181
21 महाराष्ट्र 1967 1800-22-4950 -
22 मणिपुर 1967 1800-345-3821 -
23 मेघालय 1967 1800-345-3644 -
24 मिजोरम 1967 1800-345-3891 -
25 नागालैंड - 1800-345-3704
1800-345-3705
-
26 उड़ीसा - 1800-345-6770 155335
27 पुद्दुचेरी - - -
28 पंजाब - - -
29 राजस्थान - 1800-180-6030
1800-180-6126
-
30 सिक्किम 1967 1800-345-3236 -
31 तमिलनाडु - - (044) 2859-2828
32 तेलंगाना 1967 - -
33 त्रिपुरा - - -
34 उत्तर प्रदेश 1967 1800-180-0150 -
35 उत्तराखंड - - -
36 पश्चिम बंगाल 1967 1800-345-5505 -

देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में सुधार करने के क्याओ उपाय किए गए हैं ?

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुदृढ़ और सुप्रवाही बनाना एक सतत् प्रक्रिया है। सरकार ने मानीटरिंग तंत्र और सतर्कता में सुधार करके, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाकर, संशोधित आदर्श नागरिक अधिकार-पत्र अपनाकर, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपकरणों का उपयोग करके तथा उचित दर दुकानों के प्रचालनों की व्यरवहार्यता में सुधार करके लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कार्यकरण को सुदृढ़ बनाने हेतु नियमित रूप से समीक्षा की है और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को निर्देश जारी किए हैं। राज्योंप/संघ राज्यो क्षेत्रों में टीपीडीएस के कार्यकरण की निगरानी के लिए जुलाई, 2006 से एक नौ-सूत्रीय कार्ययोजना भी कार्यान्विटत की जा रही है।

इसके अतिरिक्तए, एनएफएसए, 2013 की धारा 12 में यह प्रावधान है कि (1) केंद्रीय और राज्यर सरकारें अधिनियम में निर्धारित अपनी भूमिका के अनुसार लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में उत्तमरोत्ततर आवश्यिक सुधार करने के प्रयास करेंगी। सुधार में अन्यण बातों के साथ-साथ निम्नकलिखित भी शामिल होंगे:-

  • खाद्यान्नों की टीपीडीएस दुकानों तक सुपुर्दगी;
  • सभी स्त्रों पर लेन-देन रिकार्ड करने में पादर्शिता सुनिश्चिंत करने तथा अन्यात्र हस्तांीतरण को रोकने के लिए एक सिरे से दूसरे सिरे तक कंप्यू टरीकरण सहित सूचना और संचार प्रौद्योगिकी साधनों का प्रयोग करना;
  • इस अधिनियम के अंतर्गत लाभों की उचित पहचान के लिए हकदार लाभभोगियों की बायोमेट्रिक सूचना सहित विशेष पहचान के लिए "आधार” का प्रयोग करना;
  • उचित दर दुकानों की लाइसेंसिंग और महिलाओं एवं उनके समूहों द्वारा उचित दर दुकानों के प्रबंधन के लिए पंचायतों, स्वंयं सेवी समूहों, सहकारी समितियों जैसे सार्वजनिक संस्थाबनों अथवा सार्वजनिक निकायों को वरीयता देना;
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत वितरित वस्तुैओं का कुछ समय बाद विविधीकरण ;
  • स्थाणनीय सार्वजनिक वितरण पद्धतियों और अनाज बैंकों को सहायता प्रदान करना ;
  • लक्षित लाभभोगियों के लिए अध्यातय-2 में विनिर्दिष्टर उनकी खाद्यान्न हकदारी के बदले केंद्रीय सरकार द्वारा निर्धारित क्षेत्र और पद्धति से कैश ट्रांसफर, फूड कूपन और अन्यन स्की्मों को लागू करना।

क्या् भारत सरकार लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रचालन तथा कार्यान्वसयन में शामिल कार्मिकों की दक्षता को सुदृढ़ तथा स्तारोन्न्त करने के लिए कोई कार्यक्रम चला रही है ?

खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग, भारत सरकार लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली - प्रशिक्षण नामक एक स्कीिम घटक कार्यान्विरत कर रही है। इसका उद्देश्यर राज्यर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग तथा राज्यम नागरिक आपूर्ति निगमों आदि जैसी राज्या एजेंसियों में विभिन्नभ स्तयरों के कर्मचारियों के लिए लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा संबंधित क्षेत्रों के संबंध में नीतिगत मुद्दों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा व्यासख्यारन, सेमिनार तथा कार्यशालाएं आयोजित कर लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रचालन तथा कार्यान्वायन में शामिल कार्मिकों की दक्षता को सुदृढ़ तथा स्तकरोन्नंत करना है। लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली को और अधिक प्रभावी तथा दक्ष बनाने के उद्देश्य से लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में शामिल उचित दर दुकान मालिकों, पंचायती राज संस्था ओं के सदस्योंा तथा शहरी स्थादनीय निकायों एवं विभिन्नण स्त रों पर सतर्कता समितियों के सदस्यों को भी प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है ।

केंद्रीय सरकार राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों को प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए 500/- रुपए प्रति व्यतक्ति प्रति दिन की दर से वित्ती य सहायता प्रदान कराती है। प्रत्येयक प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम की अधिकतम अवधि 5 कार्य दिवस हो सकती है तथा अधिकतम वित्तीरय सहायता 50,000/- रुपए होगी। सेमिनारों/कार्यशालाओं के मामले में यह अवधि दो दिन है। सेमिनार/कार्यशालाएं आयोजित करने के लिए भी वित्तीकय सहायता 500/- रुपए प्रति व्योक्तिह प्रति दिन तथा सेमिनार/कार्यशालाओं के लिए अधिकतम सहायता 50,000/- रुपए होगी ।

उचित दर दुकानों (एफपीएस) के डीलरों/मालिकों को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तशर्गत उनके द्वारा खाद्यान्नों के वितरण हेतु उन्हें कमीशन/मार्जिन देने का प्रावधान क्या है ?

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश, 2001 में राज्यों/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों को उचित दर दुकान मालिकों को लाइसेंस जारी करना, उनके प्रचालनों की निगरानी करना और लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सुचारू कार्यकरण सुनिश्चित करने हेतु अपेक्षित सभी प्रकार की कार्रवाई करना अधिदेशित है। उचित दर दुकानों के लिए मार्जिन के निर्धारण के मामले में राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को लोचशीलता प्रदान की गई है। तथापि, यह अंत्योदय अन्न योजना के अन्तघर्गत खाद्यान्नोंच के वितरण पर लागू नहीं है, जहां अंतिम खुदरा मूल्य गेहूं के लिए 2 रूपए प्रति किलोग्राम और चावल के लिए 3 रूपए प्रति किलोग्राम रखा जाना है। उचित दर दुकानों पर खाद्यान्नोंी के निर्गम मूल्य का निर्धारण राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकार द्वारा ढुलाई और हैडलिंग प्रभारों, उचित दर दुकान मालिकों को भुगतान किए जाने वाले मार्जिन आदि को ध्यारन में रखकर किया जाता है।

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली का कम्प्यूटरीकरण

क्या टीपीडीएस के कंप्यू टरीकरण के लिए भारत सरकार के पास कोई स्कीम/परियोजना है ?

सरकार ने "टीपीडीएस प्रचालनों का एक सिरे से दूसरे सिरे तक कंप्यूकटरीकरण” संबंधी योजना के घटक-1 का कार्यान्व यन शुरू किया है, जिसमें राशन कार्डों/लाभार्थियों और अन्य डाटाबेसों का डिजिटीकरण, आपूर्ति-श्रृंखला प्रबंधन का कंप्यूनटरीकरण और पारदर्शिता पोर्टल तथा शिकायत निपटान तंत्र की स्थाणपना शामिल है।

सरकार द्वारा अक्तूतबर, 2012 में 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के अंतर्गत सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में कार्यान्वखयन हेतु योजना स्की0म के घटक-1 को लागत-साझेदारी आधार पर 884.07 करोड़ रुपए की कुल लागत पर अनुमोदित किया गया था, जिसमें से भारत सरकार का हिस्सा. 489.37 करोड़ रुपए और राज्यत/संघ राज्यि क्षेत्रों का हिस्सा 394.70 करोड़ रुपए है। वित्ती8य सहायता के अतिरिक्तर, केंद्रीय सरकार राज्योंे/संघ राज्यग क्षेत्रों को उनकी आवश्युकताओं के अनुसार राष्ट्री य सूचना विज्ञान केंद्र के माध्य म से अपेक्षित तकनीकी सहायता भी प्रदान कर रही है।

देश में "टीपीडीएस प्रचालनो का एक सिरे से दूसरे सिरे तक कंप्यू्टरीकरण” संबंधी स्कीम के लक्ष्‍य एवं उद्देश्य क्या हैं ?

टीपीडीएस के प्रचालनो का कंप्यूलटरीकरण वर्तमान प्रणाली की कार्यक्षमता में सुधार करने और खाद्यान्नोंर की चोरी और अन्यीत्र हस्तांीतरण, नकली और जाली राशन कार्ड, पारदर्शिता का अभाव और कमजोर शिकायत निपटान तंत्र जैसी विभिन्नत चुनौतियों का सामना करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है।

इस स्कीेम के विभिन्न घटकों का ब्यौिरा क्याा है ?

टीपीडीएस के प्रचालनों के एक सिरे से दूसरे सिरे तक कंप्यूकटरीकरण से संबंधित स्की म के घटक-1 में निम्निलिखित 4 प्रमुख गतिविधियां शामिल हैं:-

  • लाभार्थियों के डाटाबेस का डिजिटीकरण
    • लाभार्थियों से संबंधित सूचना इलेक्ट्रॉणनिक रूप में उपलब्धय होना।
    • नाम जोड़ने/नाम हटाने/संशोधन जैसी राशन कार्ड से जुड़ी सेवाएं खाद्य और नागरिक आपूर्ति कार्यालयों, सेवा केंद्रों, कियॉस्कस आदि के माध्यरम से ऑनलाइन उपलब्ध होना।
    • राशन कार्ड से संबंधित निवेदनों के लिए एसएमएस अलर्ट स्वसत: जारी होना।
    • o आंकड़ों का सत्यासपन और डी-डुप्लीअकेशन। आधार, एनपीआर, एसईसीसी, निर्वाचन संबंधी आंकड़ों आदि के डाटाबेसों का प्रयोग आंकड़ों की तुलना के लिए भी किया जा सकता है।
  • अन्य डाटाबेस का डिजिटीकरण
    • खाद्य और नागरिक आपूर्ति कार्यालयों, थोक विक्रेताओं, उचित दर दुकानों, गोदामों आदि के संबंध में डिजिटीकृत सूचना का सृजन।
    • पब्लिक एक्सेस पर किसी प्रतिबंध के बिना राज्यत पोर्टलों पर डाटाबेस प्रदर्शित करना।
  • आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन का कंप्यूटरीकरण
    • राज्यत आवंटन नीति और लाभार्थियों के आंकड़ों के आधार पर ऑनलाइन आवंटन आदेश जारी करना
    • जिला/उचित दर दुकान वार आवंटन आदेश राज्य पोर्टल पर प्रदर्शित करना और भारतीय खाद्य निगम, जिला खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति कार्यालयों आदि को ऑनलाइन भेजना
    • भारतीय खाद्य निगम – राज्यग गोदामों – उचित दर दुकानों तक संचलन
    • रिलीज ऑर्डर/ट्रक चालान/डिलीवरी आदेश ऑनलाइन जारी करना
    • वैबसाइट पर वस्तु/ओं के उठान संबंधी सूचना प्रदर्शित करना
    • खाद्यान्नोंव के डिस्पैकच/प्राप्तिश के संबंध में सभी संबंधितों को एसएमएस अलर्ट।
    • गोदामों में स्टानक स्थि‍ति की सूचना ऑनलाइन उपलब्धक होना।
  • शिकायत निपटान तंत्र और पारदर्शिता पोर्टल
    • राज्योंन में शिकायतों के पंजीकरण और निपटान के लिए एक सामान्यक नंबर अर्थात् 1967 और 1800 सीरीज के टोल-फ्री नंबर की शुरूआत करना
    • लाभार्थियों को उनकी शिकायतों और निपटान आदि की एसएमएस आधारित पावती प्राप्तं होना
    • ऑनलाइन तंत्र के माध्याम से शिकायतों पर नज़र रखना तथा उनकी स्थिाति के बारे में जानकारी प्राप्तम करने की सुविधा
    • राज्या/संघ राज्ये क्षेत्र और राष्ट्री य स्तार पर पारदर्शिता पोर्टल की स्था पना करना जिसमें टीपीडीएस संबंधित सभी सूचनाएं सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराना।

स्कीडम के घटक-2, जो उचित दर दुकानों (एफपीएस) के स्वोचालन को कवर करता है, को अगले चरण में शामिल किया जाएगा।

क्या इस स्कीम के कार्यान्वुयन के लिए कोई दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं ?

इस स्कीणम की विभिन्नए पहलुओं के बारे में स्पुष्टीेकरण के लिए राज्यों /संघ राज्यै क्षेत्रों से प्राप्तण अनुरोधों को देखते हुए और इसके कार्यान्वकयन के लिए एक व्याापक रूपरेखा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस स्कीहम के कार्यान्व‍यन के लिए विस्तृ त दिशा-निर्देश तैयार करने की आवश्य कता महसूस की गई थी। तदनुसार, विभाग ने राष्ट्री य सूचना विज्ञान केंद्र के परामर्श से राज्योंत/संघ राज्यी क्षेत्रों के खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभागों के प्रयोग के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। दिशा-निर्देशों का प्रारूप जून, 2013 में सभी राज्योंल/संघ राज्यि क्षेत्रों को उनके विचार/टिप्प णियों के लिए परिचालित किया गया था और तत्पगश्चाात् अंतिम दिशा-निर्देश सितम्बचर, 2013 में जारी किए गए थे। इन दिशा-निर्देशों की एक प्रति राष्ट्री य सार्वजनिक वितरण प्रणाली पोर्टल पर उपलब्धा है।

क्या इस स्कीम के कार्यान्वायन के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित है ?

राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को निम्न‍लिखित गतिविधियां उनके आगे उल्लि खित समय-सीमा के अनुसार पूरी करने के लिए कहा गया है:

  • लाभार्थियों के डाटाबेस का डिजिटीकरण – मार्च, 2013
  • आपूर्ति - श्रृंखला का कंप्यूकटरीकरण – अक्तूतबर, 2013

तथापि, राज्योंब द्वारा कार्य योजनाओं को अंतिम रूप देने मे विलम्बत होने, उनके द्वारा वित्तीूय प्रस्ताबव देर से प्रस्तुोत करने, कार्यान्वूयन के दौरान आई व्याउवहारिक समस्याीओं आदि के कारण इसकी प्रगति धीमी एवं असमान रही है। इस परियोजना को शीघ्र पूरा करने के लिए विभाग और राष्ट्रीमय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा राज्योंू/संघ राज्यन क्षेत्रों द्वारा की गई प्रगति की कड़ी निगरानी की जा रही है।

इस स्कीतम के अंतर्गत राष्ट्री य सूचना केन्द्र (एनआईसी) की क्या भूमिका है?

राष्ट्री य सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) केन्द्रर अर्थात खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के संबंध में तकनीकी भागीदार तथा कार्यान्व यन एजेंसी है। राष्ट्री्य सूचना विज्ञान केन्द्रे (एनआईसी) इस स्की म के अंतर्गत केन्द्री तथा राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के लिए एप्ली्केशन सॉफ्टवेयर उपलब्धथ कराएगा। राष्ट्री य सूचना विज्ञान केन्द्र् संबंधित राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की आवश्यवकताओं को पूरा करने के लिए एप्ली्केशन के कन्फी गरेशन/कस्टओमाईजेशन का कार्य करेगा तथा राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में समयबद्ध तरीके से इसके प्रयोग की शुरूआत में सहायता करेगा। राष्ट्री य सूचना विज्ञान केंद्र राज्ये खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति अधिकारियों/स्टाकफ को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कंप्यूएटरीकरण के लिए तकनीकी समाधान संबंधी प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा।

क्याय राज्य/संघ राज्य क्षेत्र इस स्की म के कार्यान्वरयन के लिए अपने निजी एप्‍लीकेशन सॉफ्टवेयर विकसित कर सकते हैं?

राज्य/संघ राज्य क्षेत्र लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के एक सिरे से दूसरे सिरे तक कंप्यूएटरीकरण सहित परियोजना के कार्यान्वायन के लिए राष्ट्रीरय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) केन्द्र अथवा अन्या किसी एजेंसी का अपने तकनीकी समाधान भागीदार के रूप में चयन कर सकते हैं अथवा अपनी आवश्ययकताओं के अनुसार राष्ट्री य सूचना विज्ञान केन्द्रई (एनआईसी) केन्द्रा एप्लीेकेशन मॉड्यूल/सेवाओं का पूर्णत: अथवा आंशिक रूप से चयन कर सकते हैं।

क्या राज्य /संघ राज्ये क्षेत्र सिस्टेम इन्टीॉग्रेटर की नियुक्ति: कर सकते हैं?

राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के पास राज्य‍ स्त्र पर कार्यान्वडयन स्वेयं करने अथवा एनआईसी के माध्य‍म से करने अथवा तकनीकी समाधान की शुरूआत करने के लिए सिस्टाम इन्टीधग्रेटर नियुक्तथ करने का विकल्पक उपलब्धे है। ऐसे सिस्ट्म इंटीग्रेटरों का चयन संबंधित राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा खुली बोली प्रक्रिया के माध्यबम से किया जाएगा। राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा सिस्टोम इंटीग्रेटरों के विस्तृ त कार्य क्षेत्र का निर्धारण राष्ट्री य सूचना विज्ञान केन्द्र् (एनआईसी) के परामर्श से किया जाएगा। प्रत्येनक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र द्वारा स्पदष्टन परिभाषित सुपुर्दगी तथा समयबद्धता के साथ सुपरिभाषित सेवास्त रीय करार (एसएलए) तैयार किए जाने हैं।

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) हेतु पारदर्शिता पोर्टल का ब्यौरा क्या है ?

सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से एक मिलाजुला पारदर्शिता पोर्टल विकसित करने का अनुरोध किया गया है, जिसमें लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) से संबंधित सभी आंकड़े और सूचना जनता की सूचनार्थ, बिना किसी प्रतिबंध के प्राप्त करने के लिए प्रदर्शित की जानी चाहिए और इसका व्यापक प्रचार किया जाना चाहिए। पारदर्शिता पोर्टल में लाभभोगियों, उचित दर दुकानों, भंडारण गोदामों/डिपुओं, खाद्य और नागरिक आपूर्ति कार्यालयों/अधिकारियों की सूची, मासिक आवंटन, वास्तविक उठान आदि जैसी सूचना सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जाएगी। इस पोर्टल की विषय-वस्तु राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की स्थानीय भाषा में तथा जहां कहीं सम्भव हो अंग्रेजी में होनी चाहिए। खाद्यान्नों की उपलब्धता संबंधी सूचना पंजीकृत लाभभोगियों और स्थानीय समुदाय के पंजीकृत व्यक्तियों को एसएमएस/ई-मेल से भी भिजवाई जाएगी। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र ने विभिन्न रिपोर्टिंग फार्मेट तैयार किए हैं, जिनका प्रयोग राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा अपने पोर्टलों पर लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) से संबंधित एमआईएस रिपोर्टें/ब्यौरा प्रदर्शित करने के लिए किया जा सकता है। विभाग द्वारा इसकी प्रति सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को 11.09.2012 को भिजवा दी गई है।

इस स्कीम के अंतर्गत राज्य/संघ राज्य क्षेत्र अपने-अपने टीपीडीएस वेब पोर्टल तैयार कर रहे हैं। इसके अलावा इस विभाग ने एक राष्ट्रीय पीडीएस पोर्टल भी शुरू किया है । इस राष्ट्रीय पोर्टल का उद्देश्य सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) से संबंधित सूचना एक ही स्थान पर सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करना है। सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के माध्यम से राष्ट्रीय पोर्टल पर आंकड़े प्रदर्शित करने और उन्हें अद्यतन रखने तथा वेब सेवाओं का प्रयोग करके अपने राज्य के पीडीएस पोर्टल के आंकड़ों के लिए लिंक उपलब्ध करने का अनुरोध किया गया है।

शिकायतों के निवारण में कम्प्यूटरीकरण किस प्रकार सहायक होगा ?

शिकायतों के पंजीयन और निवारण के लिए प्रत्येक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में टोल-फ्री हेल्प लाईन नंबर स्थापित किया जाना है। राज्य /संघ राज्य क्षेत्र के माध्यम से इस नंबर का व्यापक प्रचार किया जाएगा। पारदर्शिता पोर्टल पर शिकायत के पंजीयन, पावती की प्राप्ति और जन शिकायतों की ट्रैकिंग की सुविधा भी उपलब्ध होगी। लोगों की शिकायतों के समाधान के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा विशिष्ट कॉल सेंटर भी स्थापित किए जाने हैं। देशभर में 4 अंकीय सामान्य टोल-फ्री हेल्प लाईन नंबर ‘1967’ और सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में 1800 सीरीज के टोल-फ्री नंबर स्थापित करने के लिए इस विभाग ने दिनांक 31.01.2013 को दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

सतर्कता प्रभाग से प्राय

सतर्कता प्रभाग को किस प्रकार की शिकायतें/मुद्दे भेजे जाने होते हैं?

भ्रष्‍ट प्रथाओं से संबंधित शिकायतें (घूस मांगना या स्‍वीकार करना)/निजी फायदे के लिए सरकारी पदों का दुरूपयोग/संदिग्‍ध सत्‍यनिष्‍ठा और विभाग के और भारतीय खाद्य निगम और सेंट्रल वेयरहाउसिंग कारपोरेशन दोनों के बोर्ड स्‍तर के कर्मचारियों के खिलाफ सतर्कता दृष्‍टिकोण को शामिल करने वाले मामले।

विशिष्‍ट वर्ष/अवधि के दौरान कितने सूचना का अधिकार आवेदन प्राप्‍त हुए और कितनों का निपटारा किया जा चुका है?

सीआईसी की वार्षिक रिपोर्ट और सीआईसी की तिमाही रिपोर्ट सूचना का अधिकार आवेदन पत्र को दर्शाती है और इसका निपटारा इस विभाग की वेबसाइट पर डाल दिया जाता है।

सतर्कता प्रभाग की शिकायतों को दर्ज कैसे कराया जाए?

ऑनलाइन शिकायतों को सतर्कता प्रभाग के https://dfpd.nic.in में दर्ज करायें/ दस्‍तावेजों के प्रमाणों को (पीडीएफ) PDF मिसिल के रूप में संलग्‍न करें और यदि कोई चाहे तोjsstg[dot]fpd[at]nic[dot]in पर भी इमेल भेज सकते हैं।

सूचना का स्रोत/मौखिक शिकायतों को उन फोन नंबरों पर भी दर्ज करा सकते हैं जो विभाग की वेबसाइट पर ‘हमसे संपर्क करें’ (contact us) में दिए गए हैं।
लिखित शिकायतों को सहायक दस्‍तावेजों के साथ निम्‍नलिखित पते पर भी भेजा जा सकता है:

मुख्‍य सतर्कता अधिकारी
खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग
उपभोक्‍ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
कृषि भवन, नई दिल्‍ली-110001

क्‍या सतर्कता प्रभाग द्वारा प्राप्‍त सभी शिकायतों पर विचार किया जाता है/प्रक्रिया चलाई जाती है?

हां, सतर्कता प्रभाग/सीवीओ द्वारा प्राप्‍त सभी वास्‍तविक शिकायतों की जांच की जाती है और प्रमाणीकरण/ विस्‍तृत जांच/ प्रशासनिक कार्रवाई के लिए आदेश दिए जाते हैं, जैसा भी उचित समझा जाए।

नाम रहित/असत्‍य नाम की शिकायतों का निपटान कैसे किया जाता है?

सीवीसी के दिशा निर्देशों के अनुसार नाम रहित/असत्‍य नाम की शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती । हालांकि उन्‍हें बस दर्ज कर लिया जाता है।

आयोजन योजना

अंतरराष्ट्रीय सहयोग

वी वी ओ एफ

लोक शिकायत

शक़्क़र विकास निधि

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013