• पिछला अद्यतनीकृतः: 26 मई 2023
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प्रोक्यूरमेंट इंसिडेंटल सेल के बारे में

    • खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के अंतर्गत प्रोक्यूरमेंट इंसिडेंटल सेल का गठन दिनांक 04.09.2008 को किया गया था और प्रधान सलाहकार (लागत) इसके प्रमुख हैं। भारतीय लागत लेखा सेवा (आईसीओएएस) के अनुभवी अधिकारी और पेशेवर लागत लेखाकार इसका कार्य देखते हैं।
    • पीआई सेल का प्रमुख कार्य संबंधित राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद गेहूं, चावल और मोटे अनाज जैसी विभिन्न वस्तुओं की खरीद से जुड़े वास्तविक प्रासंगिक व्यय (प्रोक्यूरमेंट इंसिडेंटल्स) को अंतिम रूप प्रदान करना है। उपर्युक्त वस्तुओं के संबंध में केन्द्रीय पूल के लिए खरीद हेतु अधिग्रहण लागत एवं विकेंद्रीकृत पूल के तहत वितरित मात्रा हेतु आर्थिक लागत ज्ञात करने के लिए यह राज्य सरकारों/राज्य एजेंसियों द्वारा प्रस्तुत किए गए दावों तथा वित्तीय आंकड़ों की जांच, विश्लेषण एवं सत्यापन करने के लिए यह एक पारदर्शी पेशेवर दृष्टिकोण अपनाता है।
    • यह डीसीपी और गैर- डीसीपी राज्यों की अनंतिम कॉस्ट शीट को अंतिम रूप प्रदान करने, डीसीपी राज्यों के सब्सिडी दावों के निपटान के लिए व्यावसायिक सलाह भी देता है। इसके अलावा, यह सेल राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत राज्य सरकारों को राज्य के भीतर ढुलाई संबंधी व्यय, उचित दर दुकानों के डीलरों की मार्जिन और अतिरिक्त डीलर मार्जिन से संबंधित केन्द्रीय सहायता की जांच और सत्यापन भी करता है।
    • यह लागत आधारित विशिष्ट अध्ययनों, जैसे विभिन्न राज्यों में खाद्यान्नों के भंडारण के लिए भारतीय खाद्य निगम द्वारा केन्द्रीय भंडारण निगम को देय भंडारण प्रभार के निर्धारण, राज्य सरकारों को देय भंडारण प्रभारों, साइलो बोरियों तथा स्टील साईलो में खाद्यान्नों के भंडारण के लिए भंडारण प्रभार का निर्धारण, टीपीडीएस के लाभार्थियों को फोर्टीफाईड चावल तथा पेट्रोल के साथ ब्लेंडिंग हेतु इथेनोल जैसी अन्य स्कीमों के लागत निर्धारण में खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग की सहायता भी करता है।