• पिछला अद्यतनीकृतः: 26 मई 2023
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प्रस्तावना

 

      सार्वजनिक वितरण प्रणाली, उचित मूल्‍यों पर खाद्यान्‍नों के वितरण के माध्यम से अभाव की स्थिति का प्रंबधन करने की प्रणाली के रूप में विकसित की गई थी। समय के साथ-साथ सार्वजनिक वितरण प्रणाली देश में खाद्यान्‍न अर्थव्‍यवस्‍था के प्रबंधन के लिए सरकार की नीति का एक महत्‍वपूर्ण अंग बन गई है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली अनुपूरक स्‍वरुप की है और इसका उद्देश्‍य किसी परिवार अथवा समाज के किसी वर्ग को इसके अंतर्गत वितरित किसी वस्‍तु की आवश्‍यकता की समस्‍त मात्रा उपलब्‍ध कराना नहीं है।

 

      सार्वजनिक वितरण प्रणाली केन्द्र और राज्य सरकारों की संयुक्त जिम्मेदारी के अधीन प्रचालित की जाती है। केन्द्र सरकार ने भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से खाद्यान्नों की खरीद, भंडारण, ढुलाई और राज्‍य सरकारों को बल्क आवंटन करने की ज़िम्मेदारी ली है। राज्य के भीतर आवंटन करने, पात्र परिवारों की पहचान करने, राशन कार्ड जारी करने और उचित दर दुकानों के कार्यकरण का पर्यवेक्षण करने आदि सहित प्रचालनात्मक जिम्मेदारियां राज्य सरकारों की होती हैं। फिलहाल, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अधीन राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को वितरण करने के लिए गेहूं, चावल, चीनी और मिट्टी का तेल जैसी वस्तुएं आवंटित की जा रही हैं।  कुछ राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों के माध्यम से दालें, खाद्य तेल, आयोडीन युक्‍त नमक, मसाले आदि जैसी आम खपत की अतिरिक्त वस्तुएं भी वितरित करते हैं।